बोनस शेयर: बोनस शेयर वास्तव में क्या हैं?
बोनस शेयर की परिभाषा
बोनस शेयर वो अतिरिक्त शेयर होते हैं जो एक कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को मुफ्त में जारी करती है। इसे कंपनी के मुनाफे को शेयरधारकों के बीच वितरित करने का एक तरीका माना जाता है। बोनस शेयर जारी करने का मुख्य उद्देश्य कंपनी की कुल शेयर पूंजी को बढ़ाना होता है बिना शेयरधारकों से अतिरिक्त पैसे मांगे।
बोनस शेयर जारी करने के कारण
कंपनियां कई कारणों से बोनस शेयर जारी करती हैं:
- लिक्विडिटी बढ़ाना: बोनस शेयर जारी करने से शेयरों की संख्या बढ़ती है जिससे शेयर बाजार में उनकी तरलता (लिक्विडिटी) में वृद्धि होती है।
- निवेशकों को पुरस्कृत करना: बोनस शेयर जारी करने से मौजूदा निवेशकों को कंपनी में अधिक हिस्सेदारी मिलती है।
- शेयर की कीमत समायोजन: शेयर की कीमत को आकर्षक स्तर पर बनाए रखने के लिए कंपनियां बोनस शेयर जारी करती हैं ताकि अधिक निवेशक आकर्षित हो सकें।
बोनस शेयर जारी करने की प्रक्रिया
- बोर्ड मीटिंग: कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स सबसे पहले बोनस शेयर जारी करने का प्रस्ताव पारित करते हैं।
- शेयरधारकों की मंजूरी: बोर्ड के प्रस्ताव को शेयरधारकों की आम बैठक (AGM) में मंजूरी दी जाती है।
- रिकॉर्ड डेट: एक रिकॉर्ड डेट निर्धारित की जाती है, जिस तिथि तक जिनके पास कंपनी के शेयर होते हैं, वे बोनस शेयर पाने के हकदार होते हैं।
- जारी करना: निर्धारित तिथि पर बोनस शेयर मौजूदा शेयरधारकों को जारी कर दिए जाते हैं।
बोनस शेयर का गणित
जब कोई कंपनी बोनस शेयर जारी करती है, तो इसका एक अनुपात (राशन) होता है। उदाहरण के लिए, 1:1 का मतलब है कि हर एक मौजूदा शेयर पर एक बोनस शेयर दिया जाएगा। इसी तरह, 2:1 का मतलब है कि हर दो मौजूदा शेयर पर एक बोनस शेयर दिया जाएगा।
बोनस शेयर बनाम स्टॉक स्प्लिट
बोनस शेयर और स्टॉक स्प्लिट दोनों में अंतर है:
- बोनस शेयर: इसमें शेयरधारकों को अतिरिक्त शेयर मुफ्त में मिलते हैं।
- स्टॉक स्प्लिट: इसमें कंपनी अपने मौजूदा शेयरों को छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित कर देती है, जिससे शेयर की प्रति इकाई कीमत घट जाती है लेकिन कुल शेयरों की संख्या बढ़ जाती है।
बोनस शेयर का प्रभाव
शेयरधारकों पर प्रभाव
बोनस शेयर मिलने से शेयरधारकों की कुल हिस्सेदारी बढ़ जाती है, लेकिन इसका उनके निवेश की कुल कीमत पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ता। हालांकि, इससे उनके पास अधिक शेयर आ जाते हैं, जिससे वे भविष्य में अधिक लाभ कमा सकते हैं।
कंपनी पर प्रभाव
कंपनी की बैलेंस शीट पर बोनस शेयर जारी करने का प्रभाव पड़ता है। बोनस शेयर जारी करने के बाद कंपनी की रिजर्व और सरप्लस राशि में कमी आ जाती है और शेयर पूंजी में वृद्धि हो जाती है।
बाजार पर प्रभाव
बोनस शेयर की घोषणा के बाद आमतौर पर कंपनी के शेयर की कीमतों में गिरावट देखने को मिलती है क्योंकि कुल शेयरों की संख्या बढ़ जाती है। लेकिन निवेशकों के लिए यह सकारात्मक संकेत होता है क्योंकि यह कंपनी के मुनाफे का हिस्सा दर्शाता है।
भारत में बोनस शेयर का कानूनी ढांचा
भारत में बोनस शेयर जारी करने के लिए कंपनियों को कुछ कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना होता है:
- कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत बोनस शेयर जारी करने की प्रक्रिया और नियम निर्धारित किए गए हैं।
- सेबी (SEBI) के नियमों के तहत सूचीबद्ध कंपनियों को बोनस शेयर जारी करने के लिए आवश्यक नियमों का पालन करना होता है।
बोनस शेयर से संबंधित महत्वपूर्ण बातें
- कर प्रभाव: बोनस शेयर पर टैक्स का असर नहीं पड़ता है, लेकिन जब इन्हें बेचा जाता है, तब कैपिटल गेन टैक्स लागू होता है।
- लॉक-इन अवधि: कुछ मामलों में बोनस शेयर पर एक निश्चित अवधि के लिए लॉक-इन अवधि हो सकती है, जिसके दौरान इन्हें बेचा नहीं जा सकता।
बोनस शेयर के फायदे और नुकसान
फायदे
- निवेशकों के लिए अतिरिक्त आय: मौजूदा निवेशकों को बोनस शेयर मिलने से उनके पोर्टफोलियो में वृद्धि होती है।
- लिक्विडिटी बढ़ना: शेयर बाजार में लिक्विडिटी बढ़ती है, जिससे निवेशकों के लिए शेयरों का क्रय-विक्रय आसान हो जाता है।
नुकसान
- शेयर की कीमत घटना: बोनस शेयर जारी करने के बाद शेयर की प्रति इकाई कीमत में गिरावट आ सकती है।
- शेयरों की संख्या बढ़ना: इससे शेयरों की कुल संख्या बढ़ जाती है, जिससे प्रति शेयर लाभ (EPS) में कमी आ सकती है।